सोचियें कि एक हवाइ जहाज क्रैश होने वाला है जिसमे २५० बच्चें है और अगर आप उसको रोक पातें, तो क्या आप रोंकतें? अब सोचियें कि ६० हवाइ जहाज जो पाँच साल से छोटें बच्चों से भरे हो हर दिन क्रैश होते है। ये उन बच्चों की संख्या है जो अपनें पांचवें जन्मदिन तक जीवित नहीं रहतें ६६ लाख बच्चें अपनें पांचवें जन्मदिन तक जीवित नहीं रहते इन्में से अधिकतर मौते रोकीं जा सकती है और ये बात मुझे सिर्फ़ दुखि नहीं करती है, मुझे गुस्सा दिलाती है, और मुझे निश्चित बनाती है। डायरिया और निमोनियाँ दो सबसे घातक बीमारियाँ है पाचँ साल से छोटें बच्चों के लिये, और इन बिमारियों का रोकने के लियें हमें कोई स्मार्ट या नयी तकनीकी की खोज नहीं चाहियें यह दुनियाँ की सबसें पुरानी खोज है एक साबुन की टिकियाँ। हाथों को साबुन से धोना, एक ऐसी आदत जिसें हम मान कर चलते है डायरिया को ५०% कम कर सकती है सांस की बिमारी को १/३ कम कर सकती है हाथों को साबुन से धोने का ऐसा प्रभाव पड़ सकता है जो फ़्लु, त्रकोमा, सार्स को कम कर सकता है और हाल ही में कोलेरा और एबोला के प्रकोप में सबसें महत्वपुर्ण हस्तक्षेप है हाथों को साबुन से धोना। साबुन से धुले हाथ ही बच्चों को स्कूल में रखती हैं यह बच्चों को मरने से बचाती हैं साबुन से हाथ धोना सबसे किफ़ायती तरीका है बच्चों की जान बचाने का। यह हर साल ६ लाख से ज़्यादा बच्चों की जान बचा सकती है यह उस बात के समान है जब कोई रोके १० जुम्बो जेट जिसमें बच्चें भरें हो को क्रेश होने से प्रति दिन मुझे लगता है कि आप मेरे साथ सहमत होगे कि यह उपयोगी सार्वजनिक स्वास्थय बीच बचाव है तो अब एक मिनट लीजिये मुझे लगता है कि आपको अपने पास बैठें व्यक्ति को जानना चाहिये क्यू ना आप उनसे हाथ मिलायें प्लीज़ आप उनसे हाथ मिलायें चलियें एक दूसरें को जान लीजियें कितने सुन्दर दिख रहे है ना ठीक है तो अगर मै आप से कहू कि जिस व्यक्ति से आपने अभी हाथ मिलाया उसने अपने हाथ नही धोये जब वह शौचालय से बाहर आ रहा था? (हास्य) अब वे उतने सुन्दर नहीं लग रहे ना ? आप मुझसे सहमत होगे कि यह काफ़ी घिनौना है। आकड़े दिखाते है कि पाँच में से चार लोग शौचालय से बाहर आतें समय अपने हाथ नहीं धोतें है, विश्व स्तर पर। और उसी तरह, ह्म भी नहीं धोते हमारें फ़ैन्सी शौचलय में जहाँ पानी और साबुन उपलब्ध है यहीं बात है उन देशों में जहा बच्चों की मृत्युदर ज़्यादा है। क्या बात है? क्या साबुन नहीं है? असल मे साबुन उप्ल्ब्ध है। इन्डिया के ९०% घरों में, कीन्या के ९४% घरों में आपकों साबुन मिलेगा। उन देशों में भी जहा साबुन की कमी है, जैसे कि इथिओपिया मे हम ५०% पर है तो ऐसा क्यू है? लोग अपने हाथ क्यू नहीं धो रहे है ? ऎसा क्यु है कि मयन्क, एक छोटा बच्चा जिससे मॆ इन्डिया मे मिली थी, अपने हाथ नहीं धोता है ? क्यूकि मयन्क के परिवार में, साबुन का उपयोग नहाने के लिये होता है, साबुन का उपयोग कपड़े धोने के लिये होता है, साबुन का उपयोग बर्तन धोने के लिये होता है। उसके माँ बाप सोचतें है कि साबुन एक अनमोल पदार्थ है, तो साबुन को अल्मारी में बन्द रखतें है। उससे दूर रखतें है ताकि वह उसे बर्बाद नहीं करें औसत में, मयन्क के परिवार में, हाथों को साबुन से धोया जाता है दिन में सिर्फ़ एक बार और कभी कभी हफ़तें में एक बार। इसका परिणाम क्या है ? बच्चों को उन जगहों से बिमारियाँ मिलती है जो उन्हें सबसें प्यार और सुरक्षा मिलना चाहियें, उनका घर। सोचियें आपने हाथ धोना कहा सीखा? क्या आपने हाथ धोना घर में सीखा? क्या आपने हाथ धोना स्कूल में सीखा? व्यवहारिक वैज्ञानिक आपको बतायेंगे लाईफ़ के शुरुआत में डली आदतें बदलना बहुत कठिन है । फ़िर भी, हम सब दूसरों के देखा देखी, और एक जगह के तौर तरीकों को देख अपना व्यवहार बदल सकतें है। और यहा निजी क्षेत्र आता है एशिया और अफ़्रिका में, प्रति सेकंड १११ माँताए साबुन खरीदेगी अपने परिवार की सुरक्षा के लियें। इन्डिया की कई औरतें आपको बतायेगी कि उन्होनें स्वछ्ता एवँ बिमारियों के बारे में लाईफ़बोय नामक साबुन से सीखा। इन प्रतिष्ठित ब्रेन्ड्स की ज़िम्मेदारी है भलाई करना उन जगहों में, जहा वे अपना सामान बेचतें है। यहि विश्वास और युनिलीवर का स्तर हमें हौसला देता है कि ह्म इन माताओ से बातें करे साबुन से हा्थ धोने और तन्दुरुस्ती के बारे में। बड़े व्यापार और ब्रेन्ड्स सामाजिक रीति रिवाज़ बदल सकते है और एसी आदतों मे बद्लाव ला सकतें है जो बहुत ही ज़िद्दि है। सोच के देखिये मार्केटिन्ग वाले अपना सारा समय लगा देते है हमे एक ब्रॆन्ड से दूसरे ब्रॆन्ड मे बदलवाने में और असल में वे परिवर्तन करना जानते है विज्ञान तथा तथ्यों को सम्मोहिक उपदेशों मे एक मिनट सोचियें जब वे अपनी सारी शक्ति लगा कर एक प्रभावशाली उपदेश बनाये साबुन से हाथ धोने के बारे में इसके मुनाफे का उद्देश्य होगा पूरे दुनिया के स्वास्थ्य को बदलना। ऐसा सदियों से चला आ रहा है १८९४ में लाइफ़्बोय ब्रॆन्ड की स्थापना हुई थी विकटोरिअन इंग्लैंड में कोलेरा का मुकाबला करनें के लियें पिछ्ले हफ़्तें मै घाना में थी वहा के स्वास्थ्य मन्त्री के साथ क्यूकि अगर आप नहीं जानते तो मै आपको बता दू कि इस वक्त घाना में कोलेरा का प्रकोप है। ११८ साल बाद आज भी उत्तर वही है सुनिश्चित करना है कि उनकी पहुच एक साबुन की टिकिया तक है और वे उसका उपयोग करते है क्यूकि यहीं नंबर १ तरीका है कोलेरा के प्रकोप को रोकने का मुझे लगता है कि मुनाफ़े की दौड़ बहुत शक्तिशाली है कभी कभी समाजसेवा और सरकार से भी ज़्यादा शक्तिशाली सरकार जो कर सकती है कर रही है। खासकर महामारी के मामले में और कोलेरा जैसे व्यापक रोग से, या इस वक्त जैसे इबोला परन्तु प्राथमिकताओं के साथ सघंर्ष कर रहे हैं| हर समय बजट नहीं होता। और जब आप इस बारे में सोचते है आप सोचते है कि किस चीज़ की ज़रूरत है जिससे हाथ धोना एक आदत बन जायें इसके लिये निरंतर पैसों की ज़रूरत है जिससे यह व्यवहार सुधर सकें। जो लोग सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिये लड़ते है वे असल में साबुन की कंपनियों पर निर्भर है साबुन से हाथ धोने का संदेश फ़ैलाने के लिये। हमारे पास उसैड जैसे मित्र है, ग्लोबल पब्लिक-प्राइवेट संबन्ध हाथ धोने के लिये लन्ड्न स्कूल ओफ़ हाइजीन और त्रोपिकल मेडिसिन, प्लान, वाटर ऐड, जो विश्वास करते है एक जीत-जीत-जीत साझेदारी में। सार्वजनिक क्षेत्र की जीत, क्यूकि ह्म उनके लक्ष्य तक पहुचने में मदद करतें हैं। निजी क्षेत्र की जीत, क्यूकि हम नई पीढ़ियों को जन्म देते हैं जो भविष्य में हाथ धोयेगी। और सबसे ज़रुरी है, सबसे आलोचनीय की जीत। १५ अक्टूबर को, हम ग्लोबल हाथ धोने का दिन मनायेगें। स्कूलें, समुदायें, सार्वजनिक क्षेत्र के हमारें दोस्त तथा निजी क्षेत्र के दोस्त - हाँ, और उस दिन हमारे प्रतिद्वंदी भी, सब हाथ जोड़ कर उत्सव मनायेगें विश्व का सबसे ज़रूरी सार्वजनिक स्वास्थ्य बीच-बचाव। हमें ज़रुरत है, और फ़िर यहा निजी क्षेत्र, बहुत बरा प्रभाव ला सकता है, एक बड़े और रचनात्मक सोच कि जो इसका समर्थन करें। अगर आप हमारा "हेल्प अ चाइल्ड रीच ५" कैम्पेन ले, हमने महान फ़िल्में बनायी है जो साबुन से हाथ धोने का सन्देश रोज़मर्रा के लोगो तक पहुंचायेगी ऐसे तरीकें से जिससे वे समझ सकें। हमें ३ करोड़ बार देखा जा चूका हैं। इनमें से कई चर्चाएँ अब भी ऑनलाइन हो रही है। मैं आपसे विनती करती हूँ कि पाँच मिनट के लियें आप उस फ़िल्म को देखें। मैं माली से आयी हूँ, विश्व की सबसे गरीब देशों में एक। मैं एक ऐसे परिवार में पली हूँ जहाँ खाने पर रोज़ सामाजिक न्याय की बातें होती हैं। मैनें यूरोप की सर्वश्रेष्ठ पब्लिक हेल्थ स्कूल में ट्रेनिंग ली। मैं शायद अपनें देश की अकेली औरत हूँ जिसने हेल्थ में ऊँची डिग्री प्राप्त की हैं और अकेली जिसने साबुन से हाथ धोने में डाक्टरेट किया हो। (हँसी) (तालियाँ) नौ साल पहले, मैनें निर्णय लिया कि एक कामयाब पब्लिक हेल्थ कैरियर के साथ, मैं सबसे बड़ा प्रभाव छोड़ सकती हूँ पब्लिक हेल्थ में विश्व के सबसे बड़े खोज, साबुन को बेचने और बढावा देने में। आज ह्म विश्व का सबसे बढा हाथ धोने का कार्यक्रम चलाते है किसी भी पब्लिक हेल्थ सामान्य के अनुसार । हम १८.३ करोड़ लोगों तक पहुच चुकें है जो १६ देशों में है। मेरे टीम और मेरी अभिलाशा है कि साल २०२० तक ह्म १० करोड़ लोगों तक पहुचें। पिछ्लें चार सालों में, व्यापार बहुत बढा हैं और बच्चों की मृत्युदर कम हुई है उन सभी जगहॊं पर जहा साबुन का उपयोग बढा है। कुछ लोगों को यह सुन के अजीब लगा होगा - व्यापार और इन्सान की जान को एक ही पंक्ति में सुनना - परंतु व्यापार की वृध्दि ही हमें और करनें का मौका देती है। बिना इसके, और बिना इसके बारें में बात किये, जो बदलाव हमें चाहियें हम वो नहीं पा सकते । पिछ्ले हफ्ते मैं और मेरी टीम माँताओं से मिलें जिन सब ने एक ही अनुभव किया है: एक नवजात शिशु की मौत। मैं एक माँ हूँ। मैं इससे ज़्यादा शक्तिशाली और दर्द्नाक कुछ कल्पना नहीं कर सकती। ये म्यानमार से हैं। इसकी मुस्कुराहट बहुत प्यारी थी, ऐसी मुस्कुराहट जो आपको ज़िन्दगी देती है जब आपको दूसरा मौका मिला हो। इसका बेटा, म्यो, इसका दूसरा बेटा है। इसकी एक बेटी थी जो तीन हफ्ते की होकर गुज़र गयी, और ह्म जानते है कि सबसे ज़्यादा बच्चों की मौत उनके ज़िन्दगी के पहलें महीनें में ही होती है और हम जानते है कि अगर हम एक साबुन की टिकियाँ हर एक नर्स को दे, जो बच्चों को छूने से पह्लें साबुन का प्रयोग करें हम बद्लाव ला सकते है और इन नम्बरों को बदल सकते हैं। और यहीं बात मुझे प्रेरणा देती है, प्रेरणा कि मै इस रास्ते पर चलूँ, यह जानना कि मै उसे वो दे सकती हूँ जो उसे चहियें ताकि वह दुनिया का सबसे सुन्दर काम कर सके: अपने नये बच्चें को पालना। और अगली बार आप तोहफ़ें के बारे में सोचे किसी नयी माँ और उसके परिवार के लिये, तो उन्हें साबुन दीजियें। यह पब्लिक हेल्थ का सबसे सुन्दर अविष्कार है। मैं आशा करती हूँ कि आप हमसे जुड़ेंगे और हाथ धोने को अपनी रोज़ की ज़िन्दगी का और हमारी रोज़ की ज़िन्दगी का हिस्सा बनायेगें और म्यो जैसे कई और बच्चों को अपने पाँचवें जन्मदिन तक पहुचनें में मदद करेंगें। धन्यवाद। (तालियाँ )